प्रस्तावना
मैं एक मामूली और सबकी प्यारी रोटी हूँ और ये कहानी मेरी है। में ये बात पूरे गर्व से कहती हूँ की, देखने में कितनी सुन्दर लगती हूँ। मुझे अपने पास लाने के लिए सभी उत्सुक रहते हैं।
चाहे कोई कितना ही बड़ा अमीर क्यों न हो जाए, मेरे बग़ैर रहना असम्भ है। सिर्फ रुपयों, पैसों की बोरियों से कभी भी भूख नहीं बुझाई जा सकती।
मैं ही आखिर में लोगों के काम आती हूँ अर्थात सबके जीवन में बहुत महत्व रखती हूं। गरीब और अमीर, बच्चे और बूढ़े, मर्द और औरत मुझे हासिल किए बिना चैन की सांस नहीं ले सकते।
मेरा जीवन
एक रोटी बनकर मेरा पूरा बचपन बीता। यौवन की दहलीज पर जब पहुँची तो मुझे मिटाने की तैयारी। मेरी खुशी किसी को भी बर्दाश्त नहीं हुई एक मामूली, गरीब किसान जो मुझे देखकर बहुत प्रसन्न प्रतीत होता था, मुझे काटने की तैयारी में बहुत ही प्रसन्न दिख रहा था।
परिवार से पृथक
मुझे कुछ किसानों ने मिलकर बड़ी ही क्रूरता से काट दिया। मुझे अपने परिवार से दूर कर दिया गया। मेरा भय से दिल ही बैठ गया।अभी मेरे चेहरे का दुख कम भी नहीं हुआ था कि, मेरे ऊपर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा।
मुझे सब रोटियों के साथ एकत्रित होकर रक दिया गया। मुझ पर बड़ी ही बेरहमी से बैलों को चलाया गया। मैं उनके पैरों के नीचे पूरी तरह आ गई। मैं बहुत रोई, चीखी पर मेरी आवाज़ किसी ने नहीं सुनी।
ऊपरी सहानुभूति
मेरे साथ लोगों ने सहानुभूति व हमदर्दी दिखाई यह सहानुभूति सिर्फ दिखावे के लिए वहाँ मौजूद लोगों ने मुझे सब ओर से घेर लिया।उसके बाद लोगों ने मुझे साफ सुथरा करके ढेर में बैठा दिया गया।
में ऐसे चमक रही थी जैसे कोई सोने के कण हों। मुझे ऐसा प्रतीत हुआ जैसे कि मेरी ज़िंदगी भी मायने रखती है। मेरे चमकने की सुंदरता को देखकर लोगों की आँखें फटी की फटी ही रह गई।
मेरा सौदा
अब मेरे नीलाम होने का वक़्त भी समीप आ गया। खुद को किसी और को बेचकर बहुत ही कष्टदायक सिद्ध होता है, मुझसे पूछें कि किस तरह के व्यापारियों ने मुझे एक साथ घेर लिया।
लोगों ने मुझे सबसे आखिर में चुना और उस भीड़ में कुछ व्यापारियों ने भी मुझे पसंद किया। वे लोग ही थे जो बहुत ज़्यादा पैसे रखे मेरे लिए।
मैं उस दिन खुद को किसी रानी से कम नही समझ रही थी। वहाँ से मुझे फिर किसी प्रकार के झोले में भर दिया गया। उसके बाद दुकानों पर भेज दिया गया।
निष्कर्ष
आखिर में दुकानों में फिर मुझे लोगों को देखने के लिए खोल कर रख दिया गया। वह तुम ही थे जो मुझे वहाँ से घर लाए थे। घर पर जाकर मुझे अच्छे से नहलाया गया गया। उसके बाद फिर सुखाया गया। फिर अच्छे से साफ किया गया और चक्की पर मेरा आटा बनने के लिए भेज दिया गया। मेरा आटा बन गया पूर्ण रूप से और मैं उसमें पानी के साथ मिलकर गूंथ दी गई।
स्मारकों पर निबंध
ताजमहल पर निबंध |
लाल किले पर निबंध |
कुतुब मीनार पर निबंध |
चारमीनार पर निबंध |
काल्पनिक विषयों पर निबंध
कहावतों पर निबंध
ज्ञान शक्ति है पर निबंध |
बच्चा आदमी का पिता होता है पर निबंध |
ईमानदारी सर्वश्रेष्ठ नीति है पर निबंध |
स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध |
एकता में बल है पर निबंध |
प्रकृति से संबंधित विषयों पर निबंध
वर्षा ऋतु पर निबंध |
शरद ऋतु पर निबंध |
वसंत ऋतु पर निबंध |
ग्रीष्म ऋतु पर निबंध |
स्वास्थ्य से संबंधित विषयों पर निबंध
योग पर निबंध |
मोटापा पर निबंध |
डॉक्टर पर निबंध |
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर निबंध |
जंक फूड पर निबंध |
स्वस्थ जीवन शैली पर निबंध |
खुशी पर निबंध |
स्वास्थ्य पर निबंध |
एड्स/एचआईवी पर निबंध |
पर्यावरण के मुद्दों पर निबंध
नैतिक मूल्यों से संबंधित विषयों पर निबंध
अनुशासन पर निबंध |
समय के महत्व पर निबंध |
समय का सदुपयोग पर निबंध |
एकता में अटूट शक्ति है पर निबंध |
शिष्टाचार पर निबंध |
परोपकार पर निबंध |
सदाचार पर निबंध |
ईमानदारी पर निबंध |
रिश्तों पर निबंध
महान व्यक्तियों पर निबंध
विभिन्न उत्सवों पर निबंध
त्योहारों से पर निबंध
सामाजिक मुद्दों से संबंधित विषयों पर निबंध
भारत देश से संबंधित विषयों पर निबंध
विज्ञान और तकनीकी से संबंधित विषयों पर निबंध
खेलों से संबंधित विषयों पर निबंध
खेल पर निबंध |
क्रिकेट पर निबंध |
फुटबॉल पर निबंध |
सर्कस पर निबंध |
खेल के महत्व पर निबंध |
हॉकी पर निबंध |
पर्वतारोहण पर निबंध |
बैडमिंटन पर निबंध |
जानवरों से संबंधित विषयों पर निबंध
गाय पर निबंध |
बाघ पर निबंध |
मेरा पालतू कुत्ता पर निबंध |
हाथी पर निबंध |
कुत्ते पर निबंध |
मेरी पालतू बिल्ली पर निबंध |