प्रस्तावना
भारत देश के प्राचीन समय में लोगों की सोच पूरी तरह से अंधविश्वास से भरी हुई थी। हर तरफ अंधविश्वास ही फैला हुआ था।
इस अंधविश्वास के कारण पूरे समाज में बहुत ज्यादा अशांति और अधर्म बढ़ रहा था। जिससे पूरे समाज को नुकसान हो रहा था।
ऐसे समय पर भगवान गौतम बुद्ध ने इस धरती पर एक शांति दूत बनकर जन्म लिया। जिन्होंने आगे चलकर इस समाज को शांति और धर्म का मार्ग दिखाया।
भगवान गौतम बुद्ध: एक युग प्रवर्तक
इस अंधविश्वास और हिंसा से भरे हुए समाज में गौतम बुद्ध जी ने एक शांति दूत बनकर जन्म लिया था। जहा उन्होंने पूरे समाज को अशांति, अधर्म, हिंसा और अंधविश्वास से मुक्त कर दिया।
इसके बदले उन्होंने पूरे भारत देश के समाज में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को शांति और अहिंसा का ज्ञान देकर एक युग प्रवर्तक के रूप में कार्य किया था।
जिस कारण गौतम बुद्ध जी को आज पूरी दुनिया में ‘लाइट आफ एशिया’ के नाम से भी जाना जाता है।
सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध तक का सफर
कहा जाता है की, भगवान गौतम बुद्ध जी का जन्म लुम्बिनी नामक एक स्थान पर हुआ। वे एक राज परिवार में जन्मे एक व्यक्ति थे। जहा उनके पिता का नाम शद्धोधन था।
शद्धोधन यह कपिलवस्तु नामक क्षेत्र के राजा थे। जिन्होंने गौतम बुद्ध का नाम बचपन में सिद्धार्थ रखा था। राजा शद्धोधन को अपने पुत्र सिद्धार्थ को चक्रवर्ती सम्राट बनाने की इच्छा थी।
लेकिन उनको कुछ बड़े ज्योतिषियों ने कहा था की, आपका पुत्र भविष्य में या तो महान राजा बनेगा, या फिर एक संत-महात्मा। इसलिए राजा शद्धोधन ने अपने पुत्र को समाज के सभी दुखों से दूर रखा और सभी सुख सुविधाएँ प्रदान की।
लेकिन कुछ समय बाद सिद्धार्थ को समाज में हो रहे घटनाओं के बारेमें ज्ञान मिलता चला गया। तब उन्हे यह पता चला की, जीवन का असली सुख भौतिक चीजों का उपयोग करने में नहीं है, बल्कि इस अधर्म और अशांत समाज को सुधारने में है।
तब उन्होंने राजसी सुख सुविधाओं का त्याग कर दिया और सन्यासी बन गए। उसके बाद वह कुछ सालों तक गहरी तपस्या में लिन हो गए और ज्ञान प्राप्त किया। जिससे वह सिद्धार्थ से गौतम बुद्ध बन गए।
निष्कर्ष
गौतम बुद्ध एक महान व्यक्ति थे। जिन्होंने इस समाज को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को शांति और अहिंसा के महत्व को समझाया।
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