प्रस्तावना
बुद्ध को भगवान का अवतार भी कहा जाता है। उनका अस्तित्व इस दुनिया में विश्व कल्याण के लिए हुआ था। वह बहुत भावनात्मक और संवेदनशील मनुष्य की भांति कार्य करते थे। वे किसी को दर्द में तड़पता नहीं देख सकते। इसी कारण, उनके पिता उन्हे इस विश्व की सभी सुख व सुविधाओं में रखते थे।
उनका जन्मस्थान
ऐसी मान्यता है कि, उनका जन्म छठी शताब्दी के 563 ईसा पूर्व में लुम्बिनी, नेपाल में हुआ था। बुद्ध बनने से पहले उनका नाम सिद्धार्थ था।
उनके पिता कपिलवस्तू राज्य के एक प्रसिद्ध शाषक माने जाते थे। उनको जन्म देने वाली माँ माया देवी थी, जो सिद्धार्थ के जन्म के तुरंत पश्चात ही इस दुनिया से चल बसी।
वे अद्वितीय थे
वह बचपन से अन्य बच्चों से बहुत ही भिन्न रहे थे। क्योंकि उनका मन एक राजकुमार की तरह विश्व के सभी सुख और सुविधाओं के साथ एक सुंदर महल में निवास करने के बजाय सांसारिक आनंद को त्यागने का था। इस वजह से उनके पिता हमेशा उनसे थोड़े नाराज रहते थे।
बहुत ही संवेदनशील थे
गौतम बुद्ध एक बहुत ही संवेदनशील युवक थे, जिनका मन हमेशा गरीब और दुखी लोगों के कल्याण और अच्छे काम करने में लगा रहता था। लेकिन उनके पिता ने हमेशा उन्हें दुनिया की सभी सुख-सुविधाओं से भरे जीवन में रखने की पूरी कोशिश की।
क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि, वह युवा सिद्धार्थ को बाहर निकालें और दुनिया का दुख देखने की पीड़ा को महसूस करें। परंतु इतिहास हमें बताता है कि, युवा सिद्धार्थ कई बार महल से बाहर आए और इस दुनिया के कड़वी जीवन की सच्चाई देखी।
भगवान बुद्ध के मुताबिक एक मनुष्य का शरीर पृथ्वी, पानी, अग्नि और वायु ये चार तत्व का परिणाम है। उसी तरह एक लक्ष्य कई अप्रिय तत्वों से हासिल किया जाता है, जिससे हमे परिवर्तन देखने को मिलता है।
कर्म एक मनुष्य के जीवन के नैतिक अनुभव को स्वीकार करने के लिए एक धर्म है। उनका तात्पर्य यह है कि, अगर मनुष्य अपने कार्य नैतिकता और पूरी कुशलता से करेगा तभी उसे उन मानवीय कार्यों का लाभ मिलेगा।
निष्कर्ष
घर छोड़ने के तुरंत पश्चात, गौतम बुद्ध सभी विश्व संबंधों से आज़ाद हुए। उस दिन से वह एक गरीब मनुष्य की भाँति जीना शुरू करते है। वह कई सवालों के जवाब तक पहुंचना चाहते थे और इसके लिए दिन रात शांति को धारण किये थे।
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