प्रस्तावना
भारत देश की प्राचीन संस्कृति पूरी दुनिया में मशहूर है। जहा हिंदू धर्म को सबसे प्राचीन धर्म माना गया है।
जिसमे कई सारे देवी देवताओं को पूजा जाता है। इनमे भगवान श्री राम सबसे प्रिय देवताओं में से एक हैं।
पूरे भारत देश में भगवान राम को लोग एक आदर्श व्यक्ति के रूप में देखते है। श्री रामजी को भगवान विष्णु के दस अवतारों में से एक माना जाता है।
भगवान राम का विवाह
मिथिला के राजा जनक ने अपनी बेटी सीता के लिए एक स्वयंवर का आयोजन किया था। जिसमे उन्होंने एक प्रतियोगिता रखी थी, जिसमे कई सारे राजकुमार शामिल थे।
इसमे भगवान राम और उनके भाई लक्ष्मण भी शामिल थे। इस प्रतियोगिता में राजा जनक ने भगवान शिव का शिव धनुष रखा था और शर्त यह रखी थी की, जो भी राजकुमार इस शिवधनुष को उठाएगा और उसपर प्रत्यंचा चढ़ा देगा, उसी से राजकुमारी सीता का विवाह किया जाएगा।
इसलिए इस प्रतियोगिता में शामिल हर राजकुमार ने यह शिव धनुष उठाने की कोशिश की, लेकिन किसी से यह हो नहीं पाया। बाद में भगवान राम यह शिवधनुष उठाने के लिए सामने आए।
उन्होंने इस शिवधनुष का सम्मान करते हुए आसानी से एक हाथ इसे उठाया और इसपर प्रत्यंचा चढ़ाने की कोशिश की थी। लेकिन प्रत्यंचा चढ़ाते समय यह शिवधनुष दो भागों में टूट गया और यह प्रतियोगिता भगवान राम ने जीत ली। उसके बाद शर्त के अनुसार राजकुमारी सीता का विवाह भगवान राम से हो गया।
श्री राम का वनवास
सीता स्वयंवर के बाद अयोध्या के राजा दशरथ अपने बेटे राम को अपने सिंहासन पर बैठाकर अयोध्या की सारी जिम्मेदारियाँ उनपर सौपना चाहते है।
लेकिन पारिवारिक विवादों के कारण ऐसा हो नहीं पाया और राजा दशरत को मजबूर होकर वचन से बंधे होने के कारण दिल पे पत्थर रखकर अपने बेटे राम को 14 साल के लिए वनवास जाने के लिए कहा। तब भगवान राम अपनी पत्नी सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ वन चले गए।
रावण का वध
वन में वनवास करते समय एक बार रावण की बहन सूर्पनखा ने भगवान राम को कुछ कारणों के कारण अपशब्द बोले, जिससे राम के छोटे भाई लक्ष्मण क्रोधित हुए।
इस क्रोध में उन्होंने अपनी कट्यार सूर्पनखा की ओर फेंक दी, जिसमे सूर्पनखा की नाक कट गई। जिसका बदला लेने के लिए रावण ने राम की पत्नी देवी सीता का अपहरण किया और लंका ले गया।
लेकिन भगवान राम अपनी पत्नी सीता को रावणं के चंगुल से छुड़ाने के लिए वानर सेना के साथ लंका पोहोच गए और उन्होंने रावण के साथ युद्ध किया।
जिसमे भगवान राम ने रावण का वध कर दिया और देवी सीता को रावणं के चंगुल से छुड़ा लिया और अयोध्या वापस लौट आए।
निष्कर्ष
भगवान श्री राम सत्य और अच्छाई के प्रतीक हैं, जिसके कारण वे हमारे लिए एक सम्मानित व्यक्ति हैं।
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