प्रस्तावना
श्री कृष्ण मतलब भगवान का वो रूप जिन्होने भगवतगीता जैसे पवित्र ग्रंथ का निर्माण किया। जिसमे उन्होने जीवन का सार और जीवन मे आने वाले खतरो से कैसे लडते है इसका उपदेश दिया है।
श्री कृष्ण चंचल, चालाख और बहुत बुद्धिमान स्वभाव के थे। उन्हे हर कोई अलग – अलग नाम से बुलाता है। उन्हे ऐसे पुरे 108 नाम थे। उनका पसंदीदा रंग पिला था।
इसलिए वो हमेशा पिले रंग के कपडे ज्यादा पहनते थे। वो बांसुरी बजाने मे माहिर थे। इसलिए वो जब भी बांसुरी बजाते थे, तब वहाके लोग सबकुछ भुलकर बांसुरी का आवाज सूनते रहते थे।
श्री कृष्ण का जन्म
भगवान श्री कृष्ण का जन्म बहुत ही ज्यादा बिकट परिस्थितियों मे हुआ था। उनका एक मामा था, उसका नाम था कंस। वो कंस मामा एक राक्षस था। वो बहुत ज्यादा क्रूर था।
उसने श्री कृष्ण की माता देवकी को मतलब खुदकी बहन को कृष्ण के जन्म से पहले ही कैद कीया था। तब श्री कृष्ण की माता देवकी वहा बंदी बन गई। उसी बंदिवास मे श्री कृष्ण का जन्म हुआ था।
लेकीन वहा उसकी जान को खतरा था। इसलिए कृष्ण के पिता ने उन्हे सबकी नजरो से छिपाकर गोकुल मे माता यशोधा के पास छोड दिया।
भगवान श्री कृष्ण का जीवन
श्री कृष्ण का जीवन बहुत सारे उतार चडाव से भरा हुआ था। उन्होने मनुष्य के रूप मे इस धरती पर अवतार लिया था। इसलिए मनुष्य की तरह उन्हे भी हर बार मुसिबतों का सामना करना पड रहा था।
श्री कृष्ण इतने बडे भगवान होने के बावजुद भी मनुष्य का जीवन जी रहे थे। उन्होने अपने जीवन मे बहुत सारे बडे – बडे कार्य किये है। उनमे से ही एक कार्य महाभारत था। उसमे उन्होने दुनिया को ये सीखाया की अधर्म का रूप कितना भी बडा क्यू ना हो अखिरकार धर्म की ही जीत होती है।
श्री कृष्ण का संघर्ष
भगवान श्री कृष्ण की जिंदगी पुरी तरह संघर्ष से भरी हुई थी। जब उन्होने इस धरती पर जन्म लिया था, उसी समय से उनका संघर्ष शूरू हुआ था।
बालअवस्था से लेकर किशोरअवस्था तक कंसमामा की मुसिबतों का सामना करना पड रहा था। कंस को हमेशा मृत्यू से डर लगता था। उसको लगता था की कृष्ण के हाथो अपनी मृत्यू हो सकती है।
इसलिए कंस कृष्ण को मारने के लिए हमेशा अलग – अलग राक्षस भेजा करता था। लेकिन श्री कृष्ण अपनी दिव्यशक्ति से उन राक्षसों का वध कर देता था।
श्री कृष्ण की भगवद्गीता
भगवान कृष्ण के सबसे बडे कार्य मे से एक महाभारत था। जिसमे उन्होने पांडवों के तरफ से लढाई लढी थी कौरवों के खिलाफ। भगवान कृष्ण पांडवों के तरफ से इसलिए लढ रहे थे।
क्योंकि पांडव सत्य के लीए लढ रहे थे। इस लढाई मे उनका शिष्य अर्जुन था। अर्जुन लढाई करने के लिए तैयार था, लेकिन अपने ही लोगो को मारने की उसकी हिम्मत नही हो रही थी।
जबकी वो लोग अधर्मी थे। इसलिए भगवान कृष्ण ने अर्जुन को उसकी तुटी हुई हिम्मत वापस लाने के लिए जो ग्रंथ सूनाया वो ही भगवद्गीता है।
कृष्ण जन्माष्टमी
भगवान श्री कृष्ण की याद मे किया जाने वाला त्यौहार मतलब कृष्ण जन्माष्टमी। इस दिन भारत देश मे सभी कृष्ण मंदिरो मे पूजा होती है।
दुसरे दिन दहीहंडी का कार्यक्रम होता है। खासकर मुंबई शहर मे दहीहंडी का कार्यक्रम बहुत ज्यादा मनाते है।
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