प्रस्तावना
अपना भारत देश एक ऐसा देश है, जहा शहरों की संख्या कम और गावों की संख्या बहुत ज्यादा है। इसलिए यहा का प्रमुख व्यवसाय भी खेती ही है। इसी की वजह से अपने देश को एक कृषिप्रधान देश भी कहा जाता है।
जहा अपने देश के अर्थव्यवस्था को 50 प्रतिशत तक योगदान सिर्फ कृषि क्षेत्र ही करता है। लेकिन गावों के लोग खेती के अलावा कई सारे ऐसे व्यवसाय भी करते है, जिनसे वो अपनी आजीविका कमाते है।
इन व्यवसायों में कई सारे व्यवसाय शामिल है। जैसे की, मुर्गी पालन, मछली पालन, पशु पालन, फल और सब्जियों की बिक्री आदि। उनके यह व्यवसाय भी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कृषि क्षेत्र की तरह महत्वपूर्ण है।
औद्योगिक क्षेत्र का योगदान
पिछले कई दशकों से भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र की वजह से वृद्धि देखी गई है। इसलिए कृषि क्षेत्र और उससे जुड़े सभी गतिविधियों को भी वैश्विक मानकों से मेल खाने के लिए सुधारा गया है।
जिसकी वजह से कई सारे खाद्य पदार्थों के निर्यात में वृद्धि देखी गई है। जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। लेकिन उसी के साथ औद्योगिक क्षेत्र का योगदान भी भारतीय अर्थव्यवस्था के वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है।
क्योंकि आज के समय में कई नए बड़े पैमाने के साथ-साथ छोटे पैमाने के उद्योग भी स्थापित किए गए हैं और ये उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
सरकार की भूमिका
भारत देश की ज्यादातर आबादी गावों में रहती है। इसलिए अपने देश में आज भी ज्यादातर लोग अपनी आजीविका के लिए कृषि क्षेत्र पर निर्भर रहते है। जिन में से कुछ लोग फसलें, मछली पालन, मुर्गी पालन और पशुपालन जैसे कार्यों के माध्यम से अपनी आजीविका कमाते है।
उन्होंने हस्तशिल्प वस्तुओं का निर्माण किया जो औद्योगिक वस्तुओं की शुरूआत के साथ अपना आकर्षण खो रहे थे। इन सामानों की मांग कम होने लगी है। सरकार ने इन समस्याओं को देश के आर्थिक विकास में बाधा के रूप में पहचाना और उन्हें रोकने के लिए नीतियां स्थापित कीं है।
जिनमे कुटीर उद्योग को बढ़ावा देना, मजदूरों को उचित मजदूरी प्रदान करना और लोगों को आजीविका के पर्याप्त साधन उपलब्ध कराना। इस तरह देश की आर्थिक वृद्धि के लिए सरकार द्वारा निर्धारित कुछ नीतियाँ थीं।
आर्थिक विकास में औद्योगिक क्षेत्र का योगदान
भारत सरकार ने बड़े पैमाने पर लघु उद्योग के विकास को भी बढ़ावा दिया है क्योंकि सरकार को यह पता चल गया था कि, कृषि क्षेत्र अकेले देश के आर्थिक विकास में मदद नहीं कर पाएगा। इसलिए भारत सरकार ने स्वतंत्रता के बाद से ही कई उद्योग स्थापित किए गए हैं।
जिसमे बेहतर कमाई की कोशिश में बड़ी संख्या में लोग कृषि क्षेत्र से औद्योगिक क्षेत्र में स्थानांतरित हो गए। आज के समय में हमारे पास कई सारे ऐसे उद्योग हैं, जो बड़ी मात्रा में कच्चे माल के साथ-साथ तैयार माल का भी निर्माण करते हैं।
जिनमे फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री, आयरन एंड स्टील इंडस्ट्री, केमिकल इंडस्ट्री, टेक्सटाइल इंडस्ट्री, ऑटोमोटिव इंडस्ट्री, टिम्बर इंडस्ट्री, जूट, और पेपर इंडस्ट्री शामिल है। यह कुछ ऐसे इंडस्ट्री में से हैं, जिन्होंने हमारे देश के आर्थिक विकास में बहुत बड़ा योगदान दिया है।
सेवा क्षेत्र
सेवा क्षेत्र ने भी हमारे देश के विकास के लिए बहुत ज्यादा योगदान दिया है। इस क्षेत्र में भी पिछले कुछ दशकों से विकास हुआ है। जिसमे बैंकिंग और दूरसंचार क्षेत्रों के निजीकरण का सेवा क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
पर्यटन और होटल उद्योगों में भी धीरे-धीरे वृद्धि देखी जा रही है। इस तरह हाल के एक सर्वेक्षण के अनुसार सेवा क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था में 50 प्रतिशत से अधिक का योगदान दे रहा है।
निष्कर्ष
भारतीय अर्थव्यवस्था एक विविध परिदृश्य रखती है। कृषि, उद्योग और सेवाओं के मिश्रण के साथ, यह देश की वृद्धि को दर्शाता है। गरीबी और असमानता जैसी चुनौतियाँ मौजूद हैं, लेकिन चल रहे सुधारों का उद्देश्य आर्थिक संभावनाओं और जीवन स्तर को बढ़ाना है। जैसे-जैसे भारत आगे बढ़ेगा, सतत विकास को बढ़ावा देने वाला संतुलित दृष्टिकोण महत्वपूर्ण होगा।
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