प्रस्तावना
होली का त्यौहार मतलब रंगों का त्यौहार। इस दिन पुरे भारत देश में होली का त्यौहार मनाया जाता है। एक दूसरे को रंग लगाकर होली का त्यौहार मनाया जाता है। ये त्यौहार सभी बडे लोग मनाते है लेकिन इस त्यौहार का असली आनंद बच्चे लेते है।
इस दिन हर घर का बच्चा अपनी होली बड़े ही धूम धाम से मनाता है। अपने दोस्तोंके साथ एक दूसरे को रंग लगाकर होली मनाता है। होली का त्यौहार अपने भारत देश के प्रमुख त्योहारों में से एक है और हर साल ये त्यौहार मनाया जाता है। यह भारतीय त्योहार मार्च के महीने में पूर्णिमा के बाद सर्दियों के अंत में मनाया जाता है।
होली से एक दिन पहले एक बड़ा अलाव जलाया जाता है ऐसा माना जाता है की इस दिन अलाव जलानेसे जलाने से बुरी आत्माओं का खात्मा होनेमे मदद होती है और उस पूरी प्रक्रिया को होलिका दहन कहा जाता है।
होली की जानकारी
जिस दिन होली का दहन होता है, उस दिन विशेष प्रकार की एक पूजा की जाती है उससे बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों को स्वास्थ्य अच्छा रखा जा सके और उन्हें सभी प्रकार की बुराइयों से दूर रखा जा सके। होलिका दहन का उत्सव इसलिए मनाया जाता है की उस दिन भक्त प्रल्हाद को याद किया जाता है।
भक्त प्रल्हाद एक ऐसा व्यक्ति था जो भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था और वो हमेशा भगवान विष्णु के भक्ति में लीन रहता था। उसके उस विष्णुभक्ती को लोग आज भी याद करते है लेकिन उसके पिता हिरण्यकश्यप खुदको ही भगवान मानते थे इसलिए उनको अपने पुत्र की विष्णु भक्ति देखी नहीं जा रही थी
इसलिए उन्होंने अपने बेटे प्रल्हाद को बहुत मनाने की कोशिश की लेकिन प्रल्हाद ने अपनी भक्ति छोड़ी नही, इसलिए अपने बेटे के मुंह से नारायण नारायण के शब्द सुनकर रहा नहीं गया और उसको मारने के कहीं सारे प्रयास किए गए लेकिन भक्त प्रल्हाद के उपर भगवान विष्णु की कृपा होने के कारण वो हमेशा बच जाता था।
इससे तंग आके आखिरकार हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को बुलाया। होलिका को अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था इसीलिए हिरण्यकश्यप ने उसको अपने बेटे प्रल्हाद को मारने के लिए कहा। भक्त प्रल्हाद को होलिका ने जलाने की कोशिश की लेकिन प्रल्हाद को विष्णुजी का आशीर्वाद प्राप्त होने के कारण उसे कुछ नही हुआ और होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त होते हुए भी वो जलकर खाक हो गई। इसलिए हर साल होली के दिन अलाव जलाया जाता है।
होली दहन के दूसरे ही दिन लोग एक-दूसरे पर रंगों की बौछार करके होली मनाते है और उसका आनंद लेते है। लोग जिस रंग से होली खेलते है वो तरल रंग होते है। जिससे इंसान के त्वचा को कोई भी हानी नहीं पोहोंचती है।
रंगों के साथ खेलने का यह हिस्सा दोपहर के अंत तक चलता है और शाम से लोग स्वादिष्ट भोजन तैयार करना शुरू कर देते हैं। अपने इस पुरे भारत देश में होली तो मनाई जाती है, लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरह से और अलग-अलग नामों से होली मनाई जाती है।
होली का उत्सव वृंदावन और मथुरा में
वृंदावन और मथुरा इन दोनों जगह में भगवान कृष्ण का वास्तव्य रहा है। वृंदावन में होली का उत्सव एक सप्ताह तक चलने वाला उत्सव होता है और इसकी शुरुआत फूलन वाली होली से होती है जो वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में अण्णा एकादशी के दौरान फूलों की बौछार से शुरू होती है।
होली वृंदावन का सप्ताह भर चलने वाला उत्सव 4 मार्च 2020 से शुरू होगा। यह उत्सव 10 मार्च 2020 को संपन्न होगा जो होली मनाने से एक दिन पहले होता है जब लोग एक दूसरे पर रंग फेंकते हैं। दोपहर के दौरान उत्सव मथुरा में लगभग 3 बजे शुरू होता है।
लाठीमार होली
नंदगाँव और बरसाना गाँव में महिलाओं द्वारा पुरुषों को पीटने की परंपरा है जो होली उत्सव से एक सप्ताह पहले निभाई जाती है। ये सभी किंवदंतियाँ लोगों को उनके जीवन में एक अच्छे आचरण का पालन करने में मदद करती हैं और सत्य होने के गुण पर विश्वास करती हैं।
आधुनिक समय के समाज में यह अत्यंत महत्वपूर्ण है जब बहुत से लोग छोटे लाभ के लिए बुरी प्रथाओं का सहारा लेते हैं और ईमानदार होते हैं। होली लोगों को सच्चा और ईमानदार होने के गुण पर विश्वास करने में मदद करती है और बुराई से लड़ने के लिए भी।
निष्कर्ष
होली प्रेम और भाईचारा फैलाती है। यह देश में सद्भाव और खुशी लाता है। होली बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह रंगीन त्योहार लोगों को एकजुट करता है और जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मकता को दूर करता है।
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