प्रस्तावना
पर्यावरण का मतलब होता है ये सृष्टि, जिसमे हम सभी मानव और सभी जीव जंतु जीते है। पर्यावरण एक ऐसी शक्ति है, जिसमे भौतिक, रासायनिक और बहुत सारी प्राकृतिक शक्तियां मिश्रित है।
इस प्राकृतिक शक्तियों में बहुत कुछ आता है। जैसे की पेड़, पौधे, जंगल, समुद्र, नदिया और ये पूरी पृथ्वी, जो पूरी तरह से प्राकृतिक है। वो खुद एक पर्यावरण है। करोड़ों साल पहले जब इस दुनिया मे जीवसृष्टि की उत्पत्ति हुई थी, तब हम सभी के पूर्वज जिन्हे हम आदि मानव के रूप में जानते है। वो पूरी तरह से जंगल में रहा करते थे।
इसलिए उस समय कोई बीमारी या कोई महामारी उन लोगों को नहीं होती थी। लेकिन आज के समय में लोग जंगल को ज्यादा मात्रा में तोड़कर वहा बड़ी बड़ी इमारते, सड़के, बड़ी बड़ी कंपनियां बनाते है। इसलिए आज के समय में शुद्ध हवा की कमी है। इसीलिए बहुत बड़ी बीमारीया पैदा होती है। जैसे की अभी के समय में कोरोना वायरस जैसी बड़ी बीमारी से हम सभी लोग जूज रहे है। जो उसिका नतीजा है।
प्राकृतिक संसाधन
यह एक ऐसा संसाधन है, जिसमे कई शक्तियां है जिसकी वजह से हम सभी लोग जीते है। उन्ही के वजह से हम सभी का जीवन संभव है। जिसमे पेड़, पौधे, जंगल, समुद्र, नदिया और ये पूरी पृथ्वी शामिल है।
इसलिए हमारा जीवन विकसित होने मे इस पर्यावरण के प्राकृतिक संसाधनों का बहुत बड़ा हात है। इस तरह से यही पर्यावरण हमे जीवनदान देता है।
इसी कारण हमे पर्यावरण के इन गुणों को समजना चाहिए। पर्यावरण के इन प्राकृतिक संसाधनों का हमेशा खयाल रखना चाहिए। इसके लिए हमे प्रदूषण कम करना चाहिए। जिससे प्राकृतिक संसाधनों का रक्षण हो सके।
पर्यावरण का संरक्षण
हमें अपने पर्यावरण को सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिए हमेशा संतुलन बनाए रखना चाहिए। हालाँकि, आज यह देखा जा सकता है कि मानव जाति का अज्ञान प्रकृति में एक बड़ा असंतुलन पैदा कर रहा है जिसके परिणामस्वरूप कई प्राकृतिक आपदाएँ जैसे बाढ़, सुनामी, तूफान आदि आ रहे हैं।
हम देख सकते हैं कि पेड़ कट रहे हैं, कंक्रीट के जंगल बन रहे हैं, जल संसाधन बर्बाद हो रहे हैं। , प्रदूषण बेकाबू होता जा रहा है, मिट्टी का प्रदूषण बढ़ रहा है, दिन-ब-दिन हवा खराब होती जा रही है। इसलिए ये सभी मुद्दे मानवीय कठिनाई से बचे हुए हैं। अगर इन पर रोक नहीं लगाई गई तो वह दिन दूर नहीं जब धरती पर जीवन नहीं होगा।
तो यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हमारी धरती ने जो पर्यावरण हमें दिया है, उसे चुकाएं। हमें अपने पर्यावरण की उसी तरह देखभाल करनी चाहिए जिस तरह से पर्यावरण हमारी देखभाल करता है। पर्यावरण हमेशा उसी तरीके से होगा जो हम बनाएंगे।
निष्कर्ष
यदि हम अपने प्राकृतिक संसाधनों को महत्व देंगे तो ही हम उनका अधिकतम उपयोग कर पाएंगे। हमें हमेशा अपनी भावी पीढ़ी के लिए अपने संसाधनों के संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए।
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