प्रस्तावना
सूखा उस स्थिति को कहते है, जब देश में काफी लंबे समय तक बारिश नहीं होती है। अलग अलग जगहों के अलग अलग हिस्से में सूखा आम बात बन गयी है।
स्थिति के परिणाम कठोर हैं और कई बार तो अपरिवर्तनीय हैं। सूखा की स्थिति तब पैदा होती है, जब विश्व के कुछ जगह कुछ महीनों के लिए वर्षा नहीं होती है।
अर्थात पूरे साल के लिए भी ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है और अन्य कारणों की वजह से भी सूखा कई हिस्सों में पैदा होता हैं और स्थिति को काफी नुकसानदेह बना देते हैं।
वनों व जंगलों को काटना
जंगलों की कटाई को बारिश के न होने का सबसे प्रथम कारक माना जाता है और यही कटाई की वजह से सूखा की स्थिति उत्पन्न होती है। क्योंकि इससे वनों का नियंत्रन गड़बड़ा जाता है।
धरती पर अधिक जल की आवश्यकता होती है अथवा वर्षा को प्रभावित करने के लिए धरती पर पेड़ों व वृक्षों और कई अन्य वनस्पतियों की अधिक मात्रा में ज़रूरत होती है।
लेकिन जंगलों व वनों को काटने और उनकी जगह पर कंक्रीट की इमारतों के निर्माण से दुनिया में बहु बड़ा पर्यावरणीय असंतुलन निर्माण हुआ है। जिससे मिट्टी की पकड़ बहुत कमजोर हो जाती है और इसी कारण उस जगह पर पानी कभी भी टिकता नहीं है; बल्कि वहा पर सूखा जैसी समस्या आती है।
कम सतह जल प्रवाह
तालाब, नदियां व झीलें सम्पूर्ण विश्व भर के अलग-अलग जगहों पर सतह के जल के अधिक स्रोत माने जाते हैं। बहुत गर्मी या कई मनुष्य के गतिविधियों के लिए कम सतह के जल के इस्तेमाल के जगहों पर जल की कमी हो जाती है और इन्ही कारणों से सूखा हो जाता है।
सूखा वह स्थिति है जब लंबे समय तक वर्षा नहीं होती है। देश के कई हिस्सों में सूखा एक आम बात है, जो अत्यधिक बुरा और दुखद है और कई बार तो इसमे बदलाव करना मुश्किल है।
ग्लोबल वॉर्मिंग
पूरे वातावरण पर ग्लोबल वार्मिंग का असर काफी बुरी तरह से पड़ता है। ऐसे कई मामले हैं जहां ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन है, जिसमें भूमि के तापमान में बढ़ोतरी के वजह से वाष्पीकरण में वृद्धि होती है।
सबसे ऊंचे तापमान भी वनों में जो आग लगती है इसकी वजह है और अधिक मात्रा में की गई सिंचाई भी सूखा के वजहों में से एक है।
निष्कर्ष
वैसे तो सूखा का कारण सभी मनुष्यों को भली भांति मालूम हैं और यह ज़्यादा से ज़्यादा जल व संसाधनों व गैर-पर्यावरण अनुकूल मनुष्य के हरकतों और उनके गलत तरीके से उपयोग का परिणाम है और हम अब भी यह जानकर इस पर रोक लगाने के लिए कुछ ज्यादा नहीं कर रहे है। इसलिए अभी भी समय है कि, हम इस मसले पर भारी रूप से ग़ौर करें और इस मुद्दे को प्रकाश में लाये और पूरी तरह से इस समस्या को मिटाने के लिए अलग अलग देशों की सरकारों से बात करनी चाहिए।
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