प्रस्तावना
प्राकृतिक संसाधन आमतौर पर प्रकृति द्वारा प्रदान किए गए उपहार होते हैं। सूरज की रोशनी, पानी, भूमि और हवा प्राकृतिक संसाधनों के कुछ उदाहरण हैं, जो स्वाभाविक रूप से मानव हस्तक्षेप के बिना उत्पादित होते हैं और यह प्रचुर मात्रा में पाए जाते है।
हालांकि, कई अन्य प्राकृतिक संसाधन भी हैं जैसे की खनिज और जीवाश्म ईंधन, जो हम आसानी से प्राप्त नहीं कर सकते हैं। प्राकृतिक संसाधन, अर्थात् प्रकृति द्वारा प्रदान किए गए संसाधन।
प्राकृतिक संसाधनों जैसे पानी, वायु, सूरज की रोशनी, लकड़ी, खनिज और प्राकृतिक गैस, जिनका उपयोग हम मनुष्य अलग अलग तरह की चीज़े बनाने के लिए करते है।
प्राकृतिक संसाधनों के प्रकार
यद्यपि प्रत्येक प्राकृतिक संसाधन की विशेषताएं और इसका उपयोग एक-दूसरे से अलग होता है, फिर भी उन्हें दो व्यापक श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है, जिन्हें नवीकरणीय और अनवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन कहा जाता है। आइए विस्तार से देखें:
नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन: नवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन मतलब ऐसे प्राकृतिक संसाधन जिनका बार-बार उपयोग किया जा सकता है जैसे की पानी, सौर ऊर्जा, लकड़ी, बायोगैस, वायु और मिट्टी आदि। इन संसाधनों में से कई प्राकृतिक संसाधन जैसे पानी, वायु और सूरज की रोशनी का आसानी से बार बार उपयोग किया जा सकता है, लेकिन लकड़ी और मिट्टी जैसे कुछ प्राकृतिक संसाधनों को अद्यतन करने में समय लगता है।
अनवीकरणीय प्राकृतिक संसाधन: अनवीकरणीय प्रकृतिक संसाधन मतलब ऐसे संसाधन जिन्हे अद्यतन या पुनर्नवीनीकरण नहीं किया जा सकता है। जैसे की कोयला, तेल, खनिज और प्राकृतिक गैस आदि। स्वाभाविक रूप से, मानव हस्तक्षेप के बिना अनवीकरणीय प्राकृतिक संसाधनों जैसे खनिज बनने के लिए हजारों वर्षों की आवश्यकता होती है।
प्राकृतिक संसाधनों की कमी
आज तेजी से विकास कर रही इस दुनिया में हम इंसान प्राकृतिक संसाधनों का बहुत ज्यादा मात्रा में उपयोग करते है। जैसे की बढ़ती लोकसंख्या के कारण तेजी से हो रही वनों की कटाई, वाहनों को चलाने के लिए ज्यादा मात्रा में उपयोग किया जाने वाला खनिज और ऐसे ही कई सारे उदाहरण।
जिनपर हमे जल्द से जल्द कुछ उपाय ढूंढने होंगे, ताकि प्राकृतिक संसाधनों को कम से कम उपयोग हो सके। जैसे की बिजली पर चलने वाली गाड़ियां
निष्कर्ष
‘प्राकृतिक संसाधन’ यह हमे इस प्रकृति से मिला हुआ एक बहुत बड़ा उपहार है। जो इस धरती के पर्यावरण का संतुलन बनाए रखता है। जिसका हम मनुष्य भी हमारे कई सारे कामों के लिए उपयोग करते है। लेकिन आज के समय में हम इसका ज्यादा मात्रा में उपयोग कर रहे है। जिसकी वजह से पृथ्वी के पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है, जो पूरे जीवसृष्टि के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक है। इसलिए हमे इसका कम मात्रा में उपयोग करना होगा, जिससे इस पर्यावरण का संतुलन ऐसे ही बना रहेगा।
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