प्रस्तावना
हमारे देश में प्रौढ़ शिक्षा की शुरुआत करने का सफल विचार उन लोगों को देखकर आया जो किसी न किसी वजह से अपनी शिक्षा बचपन में ही अधूरा छोड़ दिये। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रौढ़ शिक्षा को और महत्त्व देने वाले कार्यक्रमों की श्रृंखला को कार्य में लाया गया। शिक्षा की वजह से कई बार मनुष्य उच्च स्तर पर नौकरी प्राप्त करने में सफल रहे है और आज देश में एक सफलतापूर्वक अपना जीवन बिता रहे हैं।
कैसे आया प्रौढ़ शिक्षा?
प्रौढ़ शिक्षा की शुरुआत कई लोगों के लिए एक व्यक्तियों से कम साबित नहीं हुई है। बहुत तरह के लोग, खासकर अपने देश में बचपन में शिक्षा का मुख भी नहीं देख पाए थे। इनमे ऐसे लोग हैं जो गरीब श्रेणी से आते हैं और पैसे की कमी की वजह से, ख़राब पारिवारिक स्थिति, प्रयाप्त विद्यालयों के न होने आदि के कारण पढ़ नहीं पाए।
इनमे ज़्यादातर वे है जो गरीब घरों से है और पैसे की कमी के कारण, ख़राब व निंदाजनक पारिवारिक स्थिति, काफी संख्या में विद्यालयों के न होने के कारण शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाए।
बचपन में ऐसे लोगों पर निरक्षरता का कोई ज़्यादा असर देखने को नहीं मिला परंतु जैसे जैसे समय बीता तो उन्हें अपनी शिक्षा का हक़ प्राप्त करने के बहुत ज़्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
तेजी से बढ़ रही आबादी की वजह से ही प्रौढ़ शिक्षा विभाग, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषद से बांट कर एक नवीन संस्था में परिवर्तित कर दिया गया।
जैसा की नाम से प्रतीत होता है की प्रौढ़ शिक्षा का सबसे अहम मकसद उन लोगों तक शिक्षा को पहुँचाना है जो अपने बचपन में किसी वजह से शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाये थे।
किस प्रकार प्रौढ़ शिक्षा लोगों तक पहुंचता है?
देश की अथॉरिटी ने ऐसे लोगों के लिए नए विद्यालयों को बनाने का ठोस निर्णय लिया की, जिससे उनको मुख्य शिक्षा या पेशेवर शिक्षा प्रदान कर पाये। इस प्रकार साफ शब्दों में कहा जाये तो यहाँ लोगों को न केवल शिक्षा प्रदान की जा रही है बल्कि अपने लिए रोजगार को पाने में भी सहायक सिद्दग हो रही है।
प्रौढ़ शिक्षा का आगमन
प्रौढ़ शिक्षा की शुरुआत सर्वप्रथम राष्ट्रीय मौलिक शिक्षा केन्द्र जिसे NFEC के नाम से जानते हैं, उसके अंतर्गत हुई थी जो की देश के सरकार के माध्यम से वर्ष 1956 में स्थापित किया गया था। उसके पश्चात ही उन अशिक्षित नीचे बताए गए तरीके से इस योजना से फायदा मिला:
- शिक्षा के साधन से हम किसी भी व्यक्ति को एक स्तर की नौकरी हासिल करने में मदद कर सकते हैं। जिसके द्वारा वह अपने परिवार की सुख सुविधाओं का अच्छे से ख्याल रख पाने में सफल हो पाएंगे।
- शिक्षा व्यक्ति के ज़िंदगी को बेहतर बनाने में सहायक होता है।
- अशिक्षित और बेरोजगार मनुष्य की सोच आपराधिक कार्यो की तरफ ज्यादा रहती है। ऐसे व्यक्ति शिक्षा को पाने के पश्चात मानसिकताओं पे लगाम लगाने में बेहतर साबित होती है।
निष्कर्ष
एक शिक्षित व्यक्ति में इतनी सूझबूझ होती है की, वह अपने आस पास हो रहे घटनाओं से परिचित रहे। इसलिए अपने देश में प्रौढ़ शिक्षा की आवश्यकता बहुत ज्यादा है। ताकी कोई भी व्यक्ति किसी भी कारण से एक अनपढ़ व्यक्ति ना रहे, बल्कि उसे भी एक शिक्षित व्यक्ति की तरह अक्क शिक्षा मिले।
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