प्रस्तावना
बाढ़ भी उन प्राकृतिक आपदाओं में से एक है, जिससे पूरे समाज को नुकसान पोहोचता है। ये बाढ़ तब आती है, जब नदियों के पात्र में ज्यादा वर्षा के कारण पानी बहुत ज्यादा भर जाता है।
ये प्राकृतिक आपदा हमेशा वर्षा के मौसम में ज्यादातर आती है। अपने देश में कई क्षेत्र ऐसे है, जो नदी के किनारे होने के कारण वहा हर साल ज्यादा वर्षा की वजह से बाढ़ आती है।
ये बाढ़ तब आती है जब वहाके नदी का बांध ज्यादा पानी भरने की वजह से टूट जाता है, तब यह प्राकृतिक आपदा उत्पन्न होती है। जिससे वहा पर स्थित पूरे क्षेत्र को नुकसान पोहोचता है और समुद्र तटीय क्षेत्र में बाढ़ की वजह तूफान और सूनामी को माना गया है।
बाड का समय
पुरी दुनिया मे कही भी बाड हमेशा उसी समय आती है, जब बरिश के मौसम का समय आता है। क्योंकि बरिश के मौसम मे जब कभी भी हद से ज्यादा बरिश होती है, तब कही सारी जगह पर बाड आने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। इसलिए जिस समय किसी भी जगह पर ज्यादा बरिश होती है, उस जगह पर किसी भी वक्त बाड आ सकती है।
बाड की जगह
बाड कितनी भी बडी क्यू ना हो लेकिन वो उसी जगह पर ज्यादा आती है, जो जगह नदी से बहुत नजदिक होती है। इसी के साथ वो जगह भी जो चारो ओर से नदियों से घिरी होती है।
या फिर वो जगह जहा हर साल बरिश का पाणी नालो से या वहाके तलाब से बाहर निकलकर रास्ते पे आता है। लेकिन उन जगहों पर कभी भी बाड नही आती है, जो जगह पहाडी क्षेत्र मे होती है, या फिर वो क्षेत्र जो बहुत ज्यादा ऊची जगह पर स्थित है।
बाड का अतिप्रवाह
दुनिया मे कई सारी जगह पर हर साल बरिश के मौसम मे हमेशा बाड आती है। लेकिन वो बाड ज्यादातर सीमित हद तक ही आती है। लेकिन कभी कभी ऐसा होता है, की बरिश ज्यादा होने के कारण नदी से आने वाले बाड का प्रमाण ज्यादा होता है।
तब उसी बाड के बडते प्रमाण को अतिप्रवाह कहा जाता है। वो अतिप्रवाह वहा की जगह के लिए बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाला होता है।
बाड से होनेवाले नुकसान
चाहे कोई गाव हो या फिर वो शहर हो जिस दिन वहा बाड आती है, तब वहा भारी नुकसान होता है और उस नुकसान को फिरसे सुधारणे के लिए बहुत समय लगता है।
इस नुकसान मे बहुत सारी वित्तहानी और जीवितहानी होती है। कई सारे लोगों के घर के अंदर बाड का पाणी जाता है और कई सारे लोगों के घर इस बाड मे बह जाते है।
उस जगह के रास्ते भी इस बाड की वजह से पुरी तरह खराब हो जाते है। हर तरफ गंदगी फैली हुई होती है।
बाढ़ के बाद के प्रभाव
गंभीर बाढ़ कभी-कभी बड़े पैमाने पर विनाश का कारण बनती है। बाढ़ के कारण बहुत से लोग और जानवर अपना जीवन खो देते हैं और कई अन्य घायल होते हैं। बाढ़ से बीमारियों में भी वृद्धि होती है। क्योंकि बाढ़ से जमा हुआ स्थिर पानी मच्छरों को आकर्षित करता है, जिससे मलेरिया, डेंगू और ऐसे ही कई सारी बीमारियों का निर्माण होता है।
इसके अलावा, बिजली के खतरे के कारण लोग बिजली कटौती का सामना करते हैं। उन्हें महंगे मूल्य निर्धारण का भी सामना करना पड़ता है। जैसे ही बाढ़ के कारण भोजन और वस्तुओं की आपूर्ति सीमित हो जाती है, कीमतें स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती हैं। यह आम आदमी के लिए एक बड़ी समस्या है। सबसे महत्वपूर्ण बात, पूरे देश को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है। लोगों को बचाने और इस आपदा से निपटने के लिए आवश्यक संसाधनों की एक मोटी राशि की मांग की जाती है। साथ ही, नागरिक अपने घरों और कारों को खो देते हैं, जिसके लिए उन्होंने अपना सारा जीवन लगा दिया।
इसके बाद, बाढ़ से पर्यावरण में भी बाधा आती है। क्योंकि यही बाढ़ मिट्टी के कटाव का कारण बनती है और इससे मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट आती है। जिस कारण हम उपजाऊ धरती को खो देते हैं। इसी तरह, बाढ़ भी वनस्पतियों और जीवों को नुकसान पहुंचाती है। वे फसलों को नुकसान पहुंचाती हैं और पेड़ों को विस्थापित करते हैं। इस प्रकार, इन गंभीर परिणामों से बचने के लिए उपाय किया जाना चाहिए।
बाड से फैलने वाली बीमारिया
जिस जगह बाड आती है, वो जगह पुरी तरह खराब हो जाती है। वहा हर जगह कचरा फैलने की वजह से वो जगह गंदगी से भरी हुई होती है। बाड की वजह से वहाका पीने का पाणी भी दूषित हुआ रहता है।
इसलिए वहा सर्दी, खासी, मलेरिया, डेंगू और बहुत सारी बीमारिया होती है। जिस जगह बाड आती है, वहाके दुकानो मे भरा हुआ खाना भी बाड की वजह से खराब हो जाता है।
इसलिए उस खाणे से वहा बीमारिया और ज्यादा फैल सकती है। इसलिए वो खाना फेक दिया जाता है और दुसरी जगह से अच्छा खाना मंगाया जाता है।
बाढ़ को रोकने के तरीके
सरकार और नागरिकों को मिलकर बाढ़ रोकने के उपाय तैयार करने चाहिए। बाढ़ आने पर उठाए जाने वाले कदमों के बारे में उचित जागरूकता फैलाई जानी चाहिए। चेतावनी प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए ताकि लोगों को खुद को बचाने के लिए पर्याप्त समय मिल सके। इसके अलावा, जिन क्षेत्रों में बाढ़ की संभावना अधिक होती है, वहां बाढ़ स्तर से ऊपर ऊंची इमारतें होनी चाहिए।आगे, बारिश के कारण अत्यधिक पानी के भंडारण के लिए एक कुशल प्रणाली होनी चाहिए। इससे पानी की अधिकता को रोका जा सकेगा।
सबसे महत्वपूर्ण चरणों में से एक जल निकासी व्यवस्था को मजबूत करना है। यह जल भराव से बचा सकता है, जो बाढ़ को रोकेगा। इसके अलावा, बांधों का मजबूती से निर्माण होना चाहिए, क्योंकि सस्ते सामग्रियों के उपयोग से बांध टूट जाते हैं। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि, बाढ़ को रोकने के लिए बांधों की गुणवत्ता का निर्माण हो।
हम बारिश और ग्लेशियरों के पिघलने जैसे प्राकृतिक कारणों को नहीं रोक सकते। लेकिन हम बांधों को टूटने, खराब जल निकासी प्रणाली, चेतावनी प्रणाली की कमी और ऐसे ही कई सारे अन्य मानव निर्मित कारणों को रोक सकते हैं। हमें सिंगापुर जैसे देशों से प्रेरणा लेनी चाहिए जो वर्ष के अधिकांश समय भारी वर्षा के बावजूद बाढ़ का अनुभव नहीं करते हैं।
निष्कर्ष
बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है जो अत्यधिक क्षति पहुंचाती है। हमने उनके कारणों, प्रभावों और रोकथाम का पता लगाया। आइए प्रकृति की इस शक्तिशाली शक्ति के खिलाफ मिलकर काम करते हुए, जीवन और घरों की सुरक्षा के लिए एकजुट हों। सूचित रहें, सुरक्षित रहें।
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