प्रस्तावना
गांधी जयंती यह एक राष्ट्रीय त्योहार है। जिसे पूरे भारत देश में मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल 2 ऑक्टोबर के दिन आता है। महात्मा गांधीजी को अपने देश का राष्ट्रपिता भी कहते है।
गांधीजी हमेशा अहिंसा के समर्थक थे। इसलिए उन्होंने अपने देश के आजादी के लिए कभी भी हिंसा का रास्ता नहीं चुना। वो हमेशा अहिंसा के मार्ग से लड़ाई लड़ते रहे।
इंसलिए उन्होंने कई सारे सत्याग्रह और आंदोलन अहिंसा के माध्यम से किए थे। जैसे की नमक सत्याग्रह, चंपारण सत्याग्रह, भारत छोड़ो आंदोलन और ऐसे ही कई सारे आंदोलन और सत्याग्रह उन्होंने अहिंसा के माध्यम से पूरे किए है।
मेक इन इंडिया
महात्मा गांधीजी का मानना था कि ‘मेक इन इंडिया’ की अवधारणा बहुत पहले से थी और इसलिए अपने साथी लोगों को हैंडव्हील के माध्यम से कपड़े बुनने के लिए कहा जाता था जिसे चरखा भी कहा जाता है। जिससे उन्होंने खादी के कपड़े पहने और विदेशी उत्पादों को त्याग दिया।
जातिवाद और अस्पृश्यता
वह न केवल एक स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि एक समाज सुधारक भी थे। उन्होंने जातिवाद और अस्पृश्यता जैसे सामाजिक कलंक को दूर किया। उन्होंने तत्कालीन अछूतों को हरिजन या ईश्वर की संतान का नाम दिया।
देश के स्कूलों और कॉलेजों में कार्यक्रम
गांधी जयंती के दिन देश के सभी स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम होते है। जिसमे विभिन्न छात्र अहिंसा और स्वदेशी आंदोलन की शिक्षा के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए नाटकों में अभिनय करते हैं।
छात्र इस दिन पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिताओं में भी भाग लेते हैं और साथ ही साथ अपने चित्रों को भी स्केच करते हैं। कई सारे छात्र इस गांधी जयंती के दिन भाषण देते हैं।
निष्कर्ष
महात्मा गांधीजी ने अपने देश के आजादी के लिए बहुत संघर्ष किया है। लेकिन उन्होंने इस संघर्ष में अपने देश के आजादी के लिए कभी भी हिंसा का रास्ता नहीं चुना बल्कि वो हमेशा अहिंसा के रास्ते पर चलते रहे और लोगों को भी उन्होंने अपने देश के आजादी के लिए अहिंसा के रास्ते पर चलने के लिए प्रोत्साहित किया था। इसलिए हम पूरे भारत देश में हर साल 2 ऑक्टोबर के इस महान व्यक्ति की याद में गांधी जयंती मनाते है।
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